स्वामी विवेकानंद भारतीय इतिहास के महानतम संतों और विचारकों में से एक थे। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था। वे वेदांत और योग के महान ज्ञाता थे और भारतीय संस्कृति व धर्म को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
स्वामी विवेकानंद के मुख्य विचार और योगदान:
1. रामकृष्ण परमहंस के शिष्य
स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। उन्होंने अपने गुरु के संदेशों को आगे बढ़ाने का कार्य किया और आध्यात्मिकता को सामाजिक सुधारों से जोड़ा।
2. 1893 का शिकागो भाषण
स्वामी विवेकानंद ने 1893 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म महासभा में अपने ऐतिहासिक भाषण से विश्व को भारतीय धर्म और संस्कृति का परिचय कराया। उनके भाषण की शुरुआत “भाइयों और बहनों” के संबोधन ने सबका दिल जीत लिया।
3. रामकृष्ण मिशन की स्थापना
1897 में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो आज भी शिक्षा, चिकित्सा और समाज सेवा के कार्यों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
4. युवाओं के प्रेरणास्रोत
स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक होने की प्रेरणा दी। उनका मानना था कि युवा किसी भी देश की रीढ़ हैं।
5. धर्म और विज्ञान का समन्वय
विवेकानंद ने धर्म को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सच्चा धर्म वह है जो मानवता की सेवा करे।
6. पुस्तकें और लेखन
उन्होंने अपने जीवन में कई प्रसिद्ध ग्रंथ लिखे, जिनमें “राजयोग,” “ज्ञानयोग,” “भक्तियोग” और “प्रेरणादायक भाषण” शामिल हैं।
उनके विचार:
- “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”
- “एक विचार को अपने जीवन का लक्ष्य बना लो और हर समय उसी के बारे में सोचो। सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी।”
- “खुद पर विश्वास करो और अपनी शक्तियों को पहचानो। यही सफलता की कुंजी है।”
उनके सम्मान में:
भारत में हर साल उनकी जयंती 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है, ताकि युवाओं को उनकी शिक्षाओं से प्रेरित किया जा सके।
स्वामी विवेकानंद का जीवन और उनके विचार आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं और यह दिखाते हैं कि कैसे भारतीय संस्कृति और मूल्य विश्व को मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।