झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को एक और पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होने आदिम जनजातियों का इलाज के अभाव में हो रही मौत का मामला उठाया है। बाबूलाल ने पत्र में लिखा है..
झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदतर स्थिति
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल दिन-ब-दिन बदतर होता जा रहा है। खासकर आदिवासी और विलुप्त हो रही आदिम जनजातियों के लोगों की मौत इलाज के अभाव में हो रही है। इसके बावजूद प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहा है।
साहिबगंज में मासूम की मौत
हाल ही में साहिबगंज के सदर अस्पताल में एक दर्दनाक घटना हुई। सिमरिया गांव के निवासी मथियम मालतो की 6 साल की बेटी, गोमदी पहाड़िन, जो डेंगू से पीड़ित थी, इलाज के अभाव में अपनी जान गंवा बैठी। पिता डॉक्टरों को खोजते हुए इमरजेंसी से लेकर ओपीडी तक दौड़ते रहे, लेकिन कहीं भी डॉक्टर नहीं मिले, जिसके कारण बच्ची ने पिता की गोद में ही दम तोड़ दिया।
दुमका में गर्भवती महिला की मौत
दूसरी घटना दुमका जिले के गोपीकांदर प्रखंड के कुंडा पहाड़ी गांव की है, जहां विलुप्तप्राय पहाड़िया जनजाति की 19 वर्षीय गर्भवती महिला, प्रिंसिका महारानी, की समय पर एंबुलेंस और इलाज न मिल पाने के कारण मौत हो गई।
जामताड़ा में आदिवासी परिवार की त्रासदी
तीसरी घटना जामताड़ा जिले के करमाटांड प्रखंड के नेगंराटांड गांव की है, जहां अज्ञात बीमारी के कारण पिछले 22 दिनों में आदिम जनजाति परिवार के 8 सदस्यों की मौत हो चुकी है। अभी भी 10 से अधिक लोग विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा
झारखंड में समय पर इलाज न मिल पाने के कारण प्रदेशवासियों की जान जा रही है। राज्य का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है। डॉक्टरों को पैसे लेकर मनचाही पोस्टिंग दी जा रही है, जिसके कारण दूर-दराज के स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो रही और मरीजों को इलाज से वंचित रहना पड़ रहा है।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया जाना चाहिए, ताकि मौतों के कारणों का खुलासा हो सके और दोषी व्यक्तियों, संस्थाओं, डॉक्टरों और अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई हो सके। साथ ही, झारखंड के सभी लोगों के लिए इलाज के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं।