उत्पाद सिपाही भर्ती पर संशय: बाबूलाल मरांडी का हेमंत सरकार पर तीखा हमला
नेता प्रतिपक्ष ने कहा – युवाओं को मिल रहा सिर्फ फर्ज़ी आश्वासन
🔹 प्रमुख बिंदु
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उत्पाद सिपाही भर्ती की दौड़ के दौरान कई युवाओं की मौत
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छह महीने बाद भी नहीं हुई लिखित परीक्षा
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युवाओं को फर्ज़ी आश्वासनों से बहलाया जा रहा
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर संवेदनहीनता का आरोप
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बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर जताई नाराजगी
चुनाव से पहले हुई थी भर्ती दौड़, कई युवाओं की गई जान
चुनाव से ठीक पहले झारखंड सरकार द्वारा उत्पाद सिपाही भर्ती की दौड़ आयोजित की गई थी। इस दौरान सरकार की अव्यवस्था और ज़िद के कारण कई युवा अपनी जान गंवा बैठे। बावजूद इसके, प्रशासन ने दौड़ को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया, जिससे मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता गया।
छह महीने बाद भी अधर में लटकी भर्ती प्रक्रिया
युवाओं को उम्मीद थी कि सरकार जल्द लिखित परीक्षा आयोजित करेगी, लेकिन सरकार के गठन के छह महीने बीत जाने के बाद भी परीक्षा की कोई तिथि घोषित नहीं हुई है। इस कारण भर्ती प्रक्रिया पर गहरा संशय बना हुआ है।
“हेमंत सरकार युवाओं के संघर्ष को नहीं समझती” – मरांडी
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक धनाढ्य परिवार में जन्मे हैं और शायद इसीलिए उन्हें आम युवाओं के संघर्ष की कोई समझ नहीं है।
उनका आरोप है कि हेमंत सरकार की शासन शैली में युवाओं के प्रति पूरी तरह से संवेदनहीनता दिखती है।
“सरकार ने छोड़ दी है शर्म, पकड़ा रही झुनझुना”
मरांडी ने सोशल मीडिया पर लिखा –
“हेमंत जी ने सारी शर्म और हया छोड़ दी है। जब भी युवा रोजगार की मांग करते हैं, सरकार परीक्षा कैलेंडर का झुनझुना थमा देती है।”
उन्होंने आगे कहा कि झारखंड में युवा आज भविष्य के अंधकार में डूबे हुए हैं।
ना नीति, ना पारदर्शिता, ना परिणाम – युवाओं को बस झूठे वादे
बाबूलाल मरांडी ने साफ शब्दों में कहा कि हेमंत सरकार के पास ना कोई ठोस नियोजन नीति है, ना पारदर्शी परीक्षा प्रक्रिया, और ना ही समय पर परिणाम घोषित किए जाते हैं। उन्होंने लिखा –
“युवाओं को सिर्फ फर्ज़ी आश्वासन मिल रहा है।”
बाबूलाल मरांडी के इस बयान ने एक बार फिर झारखंड की भर्ती व्यवस्था और युवा नीति को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द उत्पाद सिपाही भर्ती परीक्षा को लेकर स्पष्ट निर्णय ले, ताकि युवाओं का भरोसा बहाल हो सके।