JSSC CGL के लिए कल का दिन अहम। मूल सुबूत नहीं दिए गए तो आयोग लेगा निर्णय।

झारखंड/बिहार रोज़गार समाचार

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की सीजीएल परीक्षा विवादों में

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा ली गई सीजीएल (CGL) परीक्षा विवादों में घिर गई है। इस परीक्षा को लेकर कोचिंग संचालक और छात्र नेताओं ने धांधली की शिकायत की है। इस बाबत दो बार आयोग के दफ्तर में सबूत पेश किए गए हैं, लेकिन आयोग ने दोनों बार सबूतों को अधूरा बताया। आयोग का कहना है कि जो सीडी दी गई है, वह खाली है। अब 7 अक्टूबर को फिर से सबूत लाने को कहा गया है। यदि 7 अक्टूबर तक सबूत आयोग तक नहीं पहुंचते हैं, तो जेएसएससी कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा। आयोग के सचिव सुधीर गुप्ता ने 7 अक्टूबर तक का समय दिया है।

आयोग ने सबूतों पर उठाए सवाल

छात्र नेताओं और कोचिंग संचालकों द्वारा पेश किए गए सबूतों पर आयोग ने सवाल खड़े किए हैं। आयोग का कहना है कि दो बार जो सीडी दी गई, वह खाली निकली है और मूल दस्तावेज नहीं दिए गए हैं। साथ ही, जिन लोगों ने वीडियो रिकॉर्ड किया है, उनकी कोई जानकारी नहीं दी गई है, न ही उनके फोन नंबर उपलब्ध कराए गए हैं। ऐसे में जांच आगे कैसे बढ़ेगी, यह सवाल अब उठ रहे हैं।

छात्र विरोध और प्रदर्शन

जेएसएससी की सीजीएल परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर छात्र गोलबंद हो रहे हैं। 30 सितंबर को भारी संख्या में छात्रों ने आयोग के दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। इस बीच एक वर्ग सत्याग्रह कर रहा है, जबकि दूसरा वर्ग मशाल जुलूस निकाल रहा है और सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहा है।

राजनीतिक रंग लेता मामला

सीजीएल परीक्षा का मुद्दा अब सिर्फ छात्रों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है। भाजपा इस पूरी परीक्षा प्रक्रिया को रद्द कर जांच की मांग कर रही है। वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि पहले सबूत पेश किए जाएं, जिनके आधार पर जांच हो सके। कांग्रेस भी लगभग इसी तरह की राय रख रही है।

7 अक्टूबर: परीक्षा का भविष्य तय होगा

आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि 7 अक्टूबर, यानी सोमवार दोपहर 3:00 बजे तक यदि सबूत आयोग के दफ्तर तक नहीं पहुंचते हैं, तो सीजीएल परीक्षा का भविष्य आयोग ही तय करेगा।

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