शैक्षणिक हड़ताल का असर
राज्य भर के 1250 वितरहित इंटरमीडिएट कॉलेज, उच्च विद्यालय, संस्कृत विद्यालय और मदरसा विद्यालय में झारखंड राज्य वितरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आवाहन पर 26 जुलाई 2024 को एक दिवसीय शैक्षणिक हड़ताल रही, जिससे राज्य के लगभग तीन से चार लाख बच्चों का पठन-पाठन ठप रहा। 10000 शिक्षक और कर्मचारी शैक्षणिक हड़ताल पर रहे और सरकार के विरोध में नारे बुलंद किए।
मोर्चा की प्रमुख मांगे
- राज्य कर्मी का दर्जा: राज्य के शिक्षक कर्मचारियों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए।
- अनुदान राशि में वृद्धि: महंगाई को देखते हुए अनुदान की राशि कमेटी के अनुशंसा के आलोक में 75% बढ़ाने के लिए प्रस्ताव को मंत्री परिषद भेजा जाए।
- सीट बढ़ोतरी: इंटरमीडिएट कॉलेज में सीट बढ़ोतरी की जाए और पूर्व से निर्धारित सीटों पर नामांकन की अनुमति दी जाए।
- असीमित नामांकन का आदेश: विभाग सरकारी प्लस टू विद्यालयों में असीमित नामांकन का आदेश सार्वजनिक करें।
- अनुदान राशि का वितरण: 27% अनुदान की स्वीकृत राशि 2023-24 के अनुदान की राशि अभिलंब भेजी जाए। अनुदान की राशि सीधे शिक्षक और कर्मचारियों के खाते में भेजी जाए।
- लेप्स अनुदान की राशि: खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम जिला के लेप्स अनुदान की राशि अभिलंब निर्गत की जाए।
अनवरत आंदोलन की घोषणा
वितरहित मोर्चा ने अपनी मांगों के लिए अनवरत आंदोलन की घोषणा की है, जिसमें 31 जुलाई 2024 को शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम के आवास का घेराव किया जाएगा। इसमें राज्य भर के 10,000 से ज्यादा शिक्षक और कर्मचारी भाग लेंगे।
दौरा और बैठक
मोर्चा के नेताओं ने राज्य भर में घेराव कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए दौरा शुरू कर दिया है। मोर्चा के अध्यक्ष मंडल की बैठक रांची में हुई, जिसमें हड़ताल के संदर्भ में गहन विचार विमर्श किया गया और पूरे राज्य में विभिन्न प्रमंडलों के वितरहित शिक्षा कर्मचारी हड़ताल में भाग लिए।
हड़ताल की सफलता
इस शैक्षणिक हड़ताल को मोर्चा के नेताओं कुंदन कुमार सिंह, रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कादरी अहमद ने पूर्ण रूप से सफल बताया है और कहा है कि यह वित्त रहित शिक्षक कर्मचारियों की चट्टानी एकता के कारण सफल हुआ है। मोर्चा के नेताओं ने बयान जारी कर कहा है कि मुख्यमंत्री वितरहित संस्थाओं की समस्याओं को दूर करें, नहीं तो मोर्चा आर-पार की लड़ाई के लिए कमर कस चुका है।