लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड में एनडीए एकजुट रहा। बीजेपी की सबसे प्रमुख सहयोगी पार्टी आजसू ने कदम से कदम मिलाकर चुनाव लड़ा। इसका फायदा भी आजसू को हुआ। गिरिडीह में सीपी चौधरी चुनाव जीत गए। ये दीगर बात है कि, 2019 के मुकाबले 2024 में मार्जिन कम हुआ है। हालांकि, Sudesh Mahto कहते रहे हैं कि, 2019 के मार्जिन को भी इस बार पार करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
गठबंधन के साथ सुदेश महतो।
दिल्ली में आयोजित एनडीए की बैठक में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे खास तौर पर मिले और सरकार गठन को लेकर के बातचीत की। इससे सुदेश महतो के हौसले बुलंद हैं। इस साल के आखिर में झारखंड में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। इस बात में कोई शक नहीं कि, आजसू बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। 2019 में पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा जिसका खामियाजा भी उसे भुगतना पड़ा। सुदेश महतो की पार्टी इस बार यह गलती नहीं करेगी। जहां तक सीटों के बंटवारे का विषय है तो इसमें काफी समय है। आजसू अपनी तरफ से ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग करेगा। आपको पता है कि, 2019 में सीटों के बंटवारे को लेकर ही तनातनी हुई थी जिसके बाद गठबंधन टूट गया था।
जयराम महतो दे सकते हैं चुनौती।
इसबार आजसू के लिए रास्ता आसान नहीं होगा। झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है। 8 प्रत्याशी उतारे गए जिसमें से ज्यादातर तीसरे पायदान पर रहे। रांची लोकसभा में भी देवेंद्र नाथ महतो थर्ड पोजिशन पर कायम रहे। उन्हें सिल्ली और इचागढ़ में सबसे ज्यादा वोट मिले। सिल्ली सुदेश महतो का विधानसभा क्षेत्र है। ऐसे में यह चुनौती उनके लिए परेशानी का सबब बन सकती है। गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में भी जयराम महतो साढ़े तीन लाख वोट लेकर आए। ऐसे में गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले विधानसभा क्षेत्र में जयराम बड़ा उलट फेर कर सकते हैं।
झारखंड में इंडिया हुई मज़बूत।
लोकसभा चुनाव के नतीजों से स्पष्ट है कि, झारखंड में इंडिया गठबंधन के वोटों का प्रतिशत बढ़ा है। कांग्रेस के प्रति मतदाताओं का रुझान बढ़ा है। ऐसे में इस बार 2024 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के लिए रास्ता आसान नहीं होगा। ऊपर से जयराम महतो की पार्टी भी बीच में दस्तक दे चुकी है।