लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद झारखंड बीजेपी में सिर फुटव्वल शुरू हो गया है। खासकर दुमका लोकसभा सीट हारने के बाद सीता सोरेन पार्टी के बड़े नेताओं पर हमलावर हैं। चुनाव से पहले सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में शामिल हुई। पार्टी में उन्हें दुमका से चुनावी मैदान में उतारा। हालांकि, सीता को हार का सामना करना पड़ा।
अधर में सीता सोरेन का राजनीतिक भविष्य। दुमका से मिली करारी शिकस्त।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सीता सोरेन ने अपनी हार के लिए भाजपा के बड़े नेताओं को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि, मैं चुनाव हारी नहीं बल्कि मुझे हराया गया है। उन्होंने जामताड़ा के जिला अध्यक्ष के अलावा पूर्व सांसद यानी सुनील सोरेन, पूर्व मंत्री लुईस मरांडी, सारठ के विधायक रणधीर सिंह, संथाल परगना के प्रभारी व राज्यसभा के सांसद प्रदीप वर्मा, जामताड़ा के प्रभारी और पूर्व जिला अध्यक्ष निवास मंडल जैसे बड़े नेताओं का नाम लिया है।
दरअसल, सीता सोरेन को पूरा भरोसा था कि, भाजपा से टिकट मिलने के बाद वे दुमका से चुनाव जीत जाएंगी लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता नलिन सोरेन के हाथों उन्हे हार का सामना करना पड़ा। अब सीता सोरेन का दर्द छलका है। सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा से नाता पूरी तरह खत्म कर चुकी हैं। परिवार में भी उन्होंने बगावती तेवर अपना रखा है। ऐसे में उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा इस पर संशय के बादल छाए हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मानें तो दुमका के पूर्व सांसद सुनील सोरेन ने कहा है कि, अगर सीता सोरेन गद्दारी की बात साबित कर देती हैं तो वे राजनीति छोड़ देंगे। उन्होने कहा कि, वे तपती धूप में पार्टी के लिए काम किए। लिहाजा, वे पार्टी से मांग करते हैं कि, इस पूरे मामले की जांच कराएं।
सीता सोरेन और गीता कोड़ा के चेहरे पर हताशा और निराशा के निशान।
इसी तरह पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने सीता सोरेन के आरोपों को पीड़ा दायक कहा। उन्होंने कहा कि, हार की समीक्षा करने के बजाय पब्लिक फोरम में पार्टी के समर्पित नेताओं पर आरोप लगाना पार्टी लाइन के खिलाफ है। इसी तरह पार्टी के राज्यसभा सांसद आदित्य साहू और प्रदीप वर्मा ने भी इस बारे में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा।
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव में भाजपा को सभी एसटी रिजर्व सीटों में हार के बाद पार्टी मुश्किल दौर से गुजर रही है। हालांकि, इस बीच आगामी विधानसभा चुनाव के लिए शिवराज सिंह चौहान को भाजपा ने झारखंड का चुनाव प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिसवा सरमा को सह चुनाव प्रभारी बनाया है। इस बीच पार्टी के नेताओं के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।