एनडीए और इंडिया गठबंधन को अपने ही नेताओं से कड़ी चुनौती.

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मुख्य बिंदु

  • एनडीए और इंडिया गठबंधन को अपनों से चुनौती: आंकड़ों के अनुसार, इंडिया गठबंधन को 8 सीटों पर और एनडीए को 11 सीटों पर अपने ही नेताओं से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
  • भाजपा के खिलाफ बगावत: हटिया, इचागढ़, लोहरदगा, और जमशेदपुर पूर्वी जैसे कई क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ उनके ही पार्टी के नेताओं ने मैदान संभाल लिया है।
  • लोजपा को मिली सीट पर विरोध: एनडीए के तहत लोजपा उम्मीदवार को भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
  • कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा में भी असंतोष: चक्रधरपुर, रांची, सिमडेगा और अन्य सीटों पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं में भी असहमति देखी जा रही है।
  • कुल स्थिति: एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों के लिए आपसी मतभेद और असंतोष चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं। हालांकि, भाजपा ने कई सीटों पर अपने बागियों को मनाने में कुछ हद तक सफलता पाई है।

एनडीए और इंडिया गठबंधन की आंतरिक चुनौतियां

झारखंड में आगामी चुनावों के बीच एनडीए और इंडिया गठबंधन को अपने ही नेताओं से बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर जहां इंडिया गठबंधन को लगभग 8 सीटों पर असहमति झेलनी पड़ रही है, वहीं एनडीए गठबंधन की 11 सीटों पर भी बगावत की स्थिति बनी हुई है।

भाजपा में आंतरिक विरोध के प्रमुख क्षेत्र

हटिया विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है लेकिन यहां आजसू पार्टी के नेता भरत कांसी निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं। इसी प्रकार इचागढ़ से हरेलाल महतो और अरविंद सिंह आमने-सामने हैं। इसके अलावा, गुमला सीट पर भाजपा को मिशिर कुजूर से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जिन्होंने पार्टी के दबाव के बावजूद अपना नामांकन वापस नहीं लिया।

अन्य प्रमुख सीटों पर विरोध

लातेहार से आजसू के श्रवण पासवान चुनावी मैदान मे हैं। वहीं धनवार में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के सामने निरंजन राय चुनौती दे रहे हैं।

कांग्रेस और झारखंड मुक्तिि मोर्चा में भी असंतोष

कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा में भी असंतोष की स्थिति है। चक्रधरपुर से विजय गागराई, रांची से राजत की रानी कुमार और सिमडेगा से भूषण बाड़ा के खिलाफ पार्टी के ही अन्य उम्मीदवार खड़े हो गए हैं। कोडरमा में सुभाष यादव के खिलाफ कामेश्वर महतो, झामुमो और कांग्रेस के बीच असहमति को दर्शाते हैं।

भाजपा की बगियों को मनाने का प्रयास

भाजपा ने इस असंतोष को कम करने के लिए अपने बागियों को मनाने का प्रयास किया है और कई सीटों पर सफलता भी पाई है। लेकिन गठबंधन के अंदर चल रहे ये मतभेद आगामी चुनावों में एक बड़ी चुनौती बन सकते हैं।

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