अनुदान कटौती पर शिक्षा मोर्चा सख्त, 26 अगस्त को विधानसभा और 5 सितंबर को राजभवन घेराव
मुख्य बिंदु
शासी निकाय और अवधि विस्तार के नाम पर 150 से ज्यादा संस्थान अनुदान से वंचित
26 अगस्त को विधानसभा के सामने विशाल धरना देगा वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा
5 सितंबर शिक्षक दिवस पर राजभवन का घेराव, राज्यपाल को सौंपा जाएगा ज्ञापन
मोर्चा की मांग – अनुदान में 75% वृद्धि और शिक्षकों-कर्मचारियों को राज्यकर्मी का दर्जा
विभागीय लापरवाही और पदाधिकारियों पर मनमानी का आरोप
अनुदान कटौती से शिक्षकों में रोष
झारखंड में वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के अनुदान वितरण को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ने का एलान कर दिया है। मोर्चा का कहना है कि शिक्षा विभाग ने शासी निकाय के गठन और अवधि विस्तार जैसे तकनीकी कारणों का हवाला देकर कई विद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान से वंचित कर दिया है। इसके विरोध में 26 अगस्त को विधानसभा के सामने और 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन राजभवन के सामने महाधरना किया जाएगा।
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150 से ज्यादा स्कूल और कॉलेज अनुदान से वंचित
मोर्चा ने जानकारी दी है कि इस बार करीब 88 उच्च विद्यालय, 50 से ज्यादा इंटर कॉलेज और 15 से ज्यादा संस्कृत एवं मदरसा विद्यालय अनुदान से वंचित रह गए हैं। कारण बताया गया कि या तो शासी निकाय का गठन समय पर नहीं हुआ या अवधि विस्तार का पत्र विभाग को नहीं मिला।
मोर्चा का आरोप है कि यह पूरी तरह से विभागीय साजिश है, क्योंकि अपीलीय अभ्यावेदन जमा करने के नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था कि 31 मार्च तक शासी निकाय गठित न होने पर अनुदान रोक दिया जाएगा।
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शासी निकाय और अवधि विस्तार का विवाद
मोर्चा का कहना है कि शासी निकाय बनाने का अधिकार झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) को है और जैक ने पहले ही शासी निकाय का गठन कर संबंधित पत्र विभाग में जमा करा दिया है। फिर भी विभाग यह कहकर अनुदान रोक रहा है कि 31 मार्च तक शासी निकाय नहीं बनी थी।
इसी तरह, अवधि विस्तार के नाम पर भी कई संस्थान अनुदान से वंचित हो रहे हैं। जबकि 2010 में तत्कालीन सचिव मृदुला सिन्हा और 2012 में कैबिनेट ने छह साल के लिए अवधि विस्तार का निर्णय लिया था। बाद में यह अधिकार जैक को सौंपा गया और जैक लगातार अवधि विस्तार करता आ रहा है। इसके बावजूद अब विभाग अनुदान रोकने का बहाना बना रहा है।
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लंबित 12% बकाया अनुदान पर सवाल
मोर्चा ने यह भी खुलासा किया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 12% बकाया अनुदान की राशि अभी तक संस्थाओं को नहीं मिली है। पैसा विभाग को मिल चुका है, लेकिन पिछले पांच माह से इसे रोके रखा गया है।
मोर्चा नेताओं का सवाल है कि जब कमरा और भवन से संबंधित विवाद पर विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जांच के लिए पत्र भेज दिया था, तो जांच प्रतिवेदन आने तक अनुदान क्यों रोका गया? इसमें विद्यालयों और शिक्षकों का क्या दोष है?
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पदाधिकारियों पर मनमानी का आरोप
संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग के कुछ पदाधिकारी जानबूझकर वित्त रहित संस्थानों को परेशान कर रहे हैं। यहां तक कि वे शिक्षा सचिव के आदेशों का भी पालन नहीं करते।
मोर्चा नेताओं – रघुनाथ सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कदीर अहमद, गणेश महतो, नरोत्तम सिंह और अरविंद सिंह – ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि यदि इन अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे मुख्यमंत्री को ज्ञापन देंगे और राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे।
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पंपापुर और गोस्नर कॉलेज का मामला
मोर्चा ने उदाहरण देते हुए कहा कि गुमला के पंपापुर इंटर कॉलेज पालकोट को जिला शिक्षा पदाधिकारी से अनुदान देने की अनुशंसा प्राप्त हो चुकी है, फिर भी कॉलेज को अनुदान से वंचित किया जा रहा है। इसे मोर्चा ने “साफ-साफ साजिश” करार दिया है।
इसी तरह गोस्नर इंटर कॉलेज सिमडेगा का अनुदान भी रोका गया है, जिसके कारण वहां कार्यरत शिक्षक और कर्मचारी आर्थिक संकट में हैं।
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आंदोलन की घोषणा और आह्वान
मोर्चा ने साफ किया है कि उनकी प्रमुख मांगें हैं –
1. अनुदान में 75% वृद्धि
2. वित्त रहित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा
3. कटे हुए अनुदान की तुरंत बहाली
4. 12% बकाया राशि का भुगतान
इन्हीं मुद्दों को लेकर मोर्चा 26 अगस्त को विधानसभा के सामने विशाल धरना देगा और 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर राजभवन घेराव कर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेगा।
मोर्चा ने राज्यभर के 10 हजार से अधिक वित्त रहित शिक्षकों और कर्मचारियों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे राज्यभर में विधायकों का घेराव करेंगे और उन्हें मुख्यमंत्री को पत्र लिखने के लिए मजबूर करेंगे।